Category: पर्वतमालाएं

January 1, 2014 pcadm 6 0

मोनाल: प्रकृति के विविध रंगो का संयोजन

हिमालयी मोनाल जिसे नेपाल और उत्तराखंड में डाँफे के नाम से जानते हैं। यह पक्षी हिमालय पर पाये जाते हैं। यह नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी और उत्तराखण्ड का राज्य पक्षी है। मोनाल फ़ीसण्ट (Pheasant) परिवार का लोफ़ोफ़ोरस (Lophophorus) जीनस का एक पक्षी है। इसकी और बहुत सी उपप्रजातियाँ लोफ़ोफ़ोरस जीनस…

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December 28, 2013 pcadm 0

हमारे पूर्वोत्तर राज्यों को सुखाना चाहता है चीन

चीन तिब्बत के पठार से बहकर भारत आने वाली ब्रह्मपुत्र नदी पर तीन बांध बनाने जा रहा है। वह सिर्फ बांध ही नहीं बना रहा बल्कि ब्रह्मपुत्र नदी के बहाव को मोड़कर अपने इलाके की ओर करना चाहता है। इससे आने वाले वक्त में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों खासकर अरुणाचल…

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December 15, 2013 pcadm 0

हिमालयवासियों ने बनवाया येती का चित्र

ब्रिटेन के डर्बीशायर इलाक़े की एक महिला ने येती का एक चित्र जारी किया है. ये चित्र उन्होंने कथित तौर पर हिमालयवासियों के आखों देखे विवरण के आधार पर बनाया है. येती यानी हिममानव एक ऐसा जीव है जिसके बारे में ढेरों किंवदंतियाँ हैं और अब तक इसकी कोई तस्वीर…

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December 12, 2013 pcadm 0

मां का दुलार : बच्चे को दुलारती अल्पाका

अल्पाका का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी उत्पत्ति लगभग 1000 साल पहले हुई। यह दक्षिण अमेरिका में पायी जाती है। यह मुख्य रूप से एण्डीज पर्वत पर समुद्रतल से ३५०० मीटर की ऊंचाई तक मिलती है। यह दक्षिण अमेरिकी संस्कृति की पहचान मानी जाती है। पालतू जानवर होने के कारण…

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December 2, 2013 pcadm 0

चाँचुरी – कुमाऊँ का नृत्य गीत

चाँचरी – चाँचरी अथवा चाँचुरी कुमाऊँ का समवेत नृत्यगीत है । इस नृत्य की विशेषता यह है कि इसमें वेश-भूषा की चमक-दमक अधिक रहती है । दर्शकों की आँखे नृतकों पर टिकी रहती है । ‘चाँचरी’ और झोड़ा नृत्य देखने में एक सा लगता है परन्तु दोनों की शैलियों में…

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November 30, 2013 pcadm 0

आओ मिलकर झोड़े गाएं

झोड़ा कुमाऊं का सामूहिक नृत्य-गीत है । गोल घेरे में एक दूसरे की कमर अथवा कन्धों में हाथ डाले सभी पुरुषों के मंद, सन्तुलित पद-संचालन से यह नृत्य गीत प्रारम्भ होता है । वृत के बीच में खड़ा हुड़का-वादक गीत की पहली पंक्ति को गाता हुआ नाचता है, जिसे सभी…

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November 28, 2013 pcadm 0

मां नंदा देवी का मेला

कुमाऊँ मंड़ल के अतिरिक्त भी नन्दादेवी समूचे गढ़वाल और हिमालय के अन्य भागों में जन सामान्य की लोकप्रिय देवी हैं। नन्दा की उपासना प्राचीन काल से ही किये जाने के प्रमाण धार्मिक ग्रंथों, उपनिषद और पुराणों में मिलते हैं। नन्दा के इस शक्ति रुप की पूजा गढ़वाल और कुमाऊँ दोनो…

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November 3, 2013 pcadm 0

ऐपण – पहाड़ की रंगोली कला

उत्तरांचल में शुभावसरों पर बनायीं जाने वाली रंगोली को ऐपण कहते हैं। ऐपण कई तरह के डिजायनों से पूर्ण होता है। ऐपण के मुख्य डिजायन -चौखाने , चौपड़ , चाँद, सूरज , स्वस्तिक , गणेश ,फूल-पत्ती, बसंत्धारे तथा पो आदि हैं। ऐपण के कुछ डिजायन अवसरों के अनुसार भी होते…

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October 29, 2013 pcadm 1 0

रंगयाली पिछोड़ा

उत्तरांचल में विवाह के आलावा अन्य अवसरों पर पहने जाने वाली चुनरी को रंगयाली पिछोड़ा कहते है। यह संयुक्त रूप से लाल तथा पीले रंग का होता है। ऐपण की तरह इसमें भी शंख, चक्र, स्वस्तिक, घंटा , बेल-पत्ती, फूल, आदि शुभ चिन्हों का प्रयोग होता है। पहले लोग घर…

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