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बादलों के घर में

cherra-poonji-falls-1दूसरे दिन शाम का कार्यक्रम असम राइफल्स के अफसरों  की तरफ से था जो रात खाने तक चला । सेना और अर्ध सैनिक बालों के अफसरों की दावत बहुत भव्य होती है  । वह शाम भी यादगार है ।लजीज व्यंजन और रात तक मित्रों की महफ़िल में मदिरा का दौर देर तक चला । बातचीत असम मेघालय की संस्कृति पर ज्यादा फोकस रही । असम राइफल्स के एक अफसर उत्तर प्रदेश के मिल गए । काफी मिलनसार और जबरन राज भवन से सामन उठवा  कर बहुत ही भव्य अतिथि गृह में पहुंचा दिया ।

शिलांग दिन भर घूमते रहे हलकी बारिश में । शाम के बाद धुंध भी बढ़ी तो बारिश भी । सुबह चेरापूंजी की तरफ निकलना था इसलिए रात जल्दी खाना हुआ । फिर भी सुबह तैयार होते होते नौ बज चुके थे । किसी भी हिल स्टेशन में जाए यही  दिनचर्या हो जाती है । चेरापूंजी घुमाने का जिम्मा एक स्थानीय युवती रोजी  को सौंपा गया ताकि भाषा अदि की भी दिक्कत न आए । खैर चलने से पहले ही बारिश  तेज हो चुकी थी और  भीगा हुआ रास्ता ज्यादा दूर तक नहीं दिख पा रहा था क्योकि घना कोहरा और बादल एक दूसरे में समाते जा रहे थे । कुछ देर बाद ही कोहरा छंटा तो पहाड और दूर तक जाती हरियाली का विस्तार दिखने लगा । पर फिर आसमान पर जो बादल घिरे वे सड़क पर रास्ता रोकने लगे । कर कि रफ़्तार काफी धीमी करनी पड़ी क्योकि आगे चार फुट की  दूरी पर भी कुछ दिख नहीं रहा था । और कुछ मिनट में ही ही रास्ता मुड जाता ।

एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ जंगल और बीच भीच में पहाड से फूटते झरने ।झरने भी ऐसे कि आप रुकने के लिए मजबूर हो जाए । बादलों से जूझते हुए करीब घंटा भर हो चुका था तभी रोजी ने एक चाय की दुकान देख कर रुकवा ली । दुकान क्या छोटी सी झोपडी थी जो भीगी हुई थी । चाय बनाने वावली महिला से कम चीनी की चाय बनाने को कहकर आसपास का जायजा लेने लगे । सामने कि पहाड़ी को चारो ओर से बादलों ने घेर रखा था और बादलों का कारवां उस तरफ बढ़ता जा रहा था ।

यू हीं नहीं इस अंचल का नाम मेघालय रखा गया होगा । हम जहाँ थे उसके नीचे भी बादल तो ऊपर भी बादल ।

सभार : http://www.janadesh.in/InnerPage.aspx?Story_ID=5406%20&Parent_ID=3&Title=%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%98%E0%A4%B0%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82

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