Category: उत्तराखंड

January 1, 2014 pcadm 6 0

मोनाल: प्रकृति के विविध रंगो का संयोजन

हिमालयी मोनाल जिसे नेपाल और उत्तराखंड में डाँफे के नाम से जानते हैं। यह पक्षी हिमालय पर पाये जाते हैं। यह नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी और उत्तराखण्ड का राज्य पक्षी है। मोनाल फ़ीसण्ट (Pheasant) परिवार का लोफ़ोफ़ोरस (Lophophorus) जीनस का एक पक्षी है। इसकी और बहुत सी उपप्रजातियाँ लोफ़ोफ़ोरस जीनस…

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December 2, 2013 pcadm 0

चाँचुरी – कुमाऊँ का नृत्य गीत

चाँचरी – चाँचरी अथवा चाँचुरी कुमाऊँ का समवेत नृत्यगीत है । इस नृत्य की विशेषता यह है कि इसमें वेश-भूषा की चमक-दमक अधिक रहती है । दर्शकों की आँखे नृतकों पर टिकी रहती है । ‘चाँचरी’ और झोड़ा नृत्य देखने में एक सा लगता है परन्तु दोनों की शैलियों में…

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November 30, 2013 pcadm 0

आओ मिलकर झोड़े गाएं

झोड़ा कुमाऊं का सामूहिक नृत्य-गीत है । गोल घेरे में एक दूसरे की कमर अथवा कन्धों में हाथ डाले सभी पुरुषों के मंद, सन्तुलित पद-संचालन से यह नृत्य गीत प्रारम्भ होता है । वृत के बीच में खड़ा हुड़का-वादक गीत की पहली पंक्ति को गाता हुआ नाचता है, जिसे सभी…

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November 28, 2013 pcadm 0

मां नंदा देवी का मेला

कुमाऊँ मंड़ल के अतिरिक्त भी नन्दादेवी समूचे गढ़वाल और हिमालय के अन्य भागों में जन सामान्य की लोकप्रिय देवी हैं। नन्दा की उपासना प्राचीन काल से ही किये जाने के प्रमाण धार्मिक ग्रंथों, उपनिषद और पुराणों में मिलते हैं। नन्दा के इस शक्ति रुप की पूजा गढ़वाल और कुमाऊँ दोनो…

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November 3, 2013 pcadm 0

ऐपण – पहाड़ की रंगोली कला

उत्तरांचल में शुभावसरों पर बनायीं जाने वाली रंगोली को ऐपण कहते हैं। ऐपण कई तरह के डिजायनों से पूर्ण होता है। ऐपण के मुख्य डिजायन -चौखाने , चौपड़ , चाँद, सूरज , स्वस्तिक , गणेश ,फूल-पत्ती, बसंत्धारे तथा पो आदि हैं। ऐपण के कुछ डिजायन अवसरों के अनुसार भी होते…

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October 29, 2013 pcadm 1 0

रंगयाली पिछोड़ा

उत्तरांचल में विवाह के आलावा अन्य अवसरों पर पहने जाने वाली चुनरी को रंगयाली पिछोड़ा कहते है। यह संयुक्त रूप से लाल तथा पीले रंग का होता है। ऐपण की तरह इसमें भी शंख, चक्र, स्वस्तिक, घंटा , बेल-पत्ती, फूल, आदि शुभ चिन्हों का प्रयोग होता है। पहले लोग घर…

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October 23, 2013 pcadm 0

संवेदनशील गांवों में दहशत

अस्कोट(पिथौरागढ़): बरसात का मौसम दस्तक देने लगा है। इसके साथ ही पहाड़ के उन सैकड़ों गांवों में दहशत व्याप्त होने लगी है जो दैवीय आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं, लेकिन राज्य का आपदा प्रबंधन तंत्र अभी तक इन गांवों में से केवल एक तिहाई गांवों का ही सर्वे…

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October 20, 2013 pcadm 0

सिमट रही है गंगा की धारा

गंगा इन दिनों अजीब विरोधाभासों का सामना कर रही है। एक ओर पहाड़ों में बर्फबारी हो रही है, वहीं दूसरी ओर टिहरी में बनाये गये भीमकाय बाँध के प्रबंधकों ने अधिक पानी रोककर जलधारा को पहले से भी सीमित कर दिया है। ठंड बढ़ने के साथ ही पहाड़ों में बर्फबारी…

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October 16, 2013 pcadm 0

कुमाऊँ का लोक नृत्य: छोलिया

विभिन्न अंचलों के अपने-अपने लोकनृत्य होते हैं। कुमाऊँ का लोकनृत्य छोलिया नृत्य कहा जाता है। इस नृत्य को करने वालों को छोल्यार कहा जाता है। यह नृत्य प्रायः पुरुषों द्वारा किया जाता है। यह नृत्य यहाँ श्रृंगार व वीर रस दो रूपों में देखने को मिलता है। कुमाऊँ के पाली…

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October 8, 2013 pcadm 0

भूस्खलन: कुमाऊं के कई इलाके संवेदनशील

भीमताल: मानसून में बरस रहे मेघों का रुख देख भू-विज्ञानी भूस्खलन के लिहाज से कुमाऊं के तमाम इलाकों की संवेदनशीलता के मद्देनजर चिंतित हैं। पिथौरागढ़, बागेश्वर व अल्मोड़ा के साथ ही नैनीताल के तमाम क्षेत्र खतरे के मुहाने पर हैं। जिले का पूरा ओखलकांडा ब्लॉक तो संवेदनशील श्रेणी में है…

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