संवेदनशील गांवों में दहशत
अस्कोट(पिथौरागढ़): बरसात का मौसम दस्तक देने लगा है। इसके साथ ही पहाड़ के उन सैकड़ों गांवों में दहशत व्याप्त होने लगी है जो दैवीय आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं, लेकिन राज्य का आपदा प्रबंधन तंत्र अभी तक इन गांवों में से केवल एक तिहाई गांवों का ही सर्वे का कार्य पूर कर पाया है। इतना ही नहीं बहु प्रचारित आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण का कार्य भी अब तक केवल 12 फीसदी गांवों में ही संपन्न हो सका है।
उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल और दैवीय आपदाओं का चोली दामन का साथ रहा है। विशेषकर बरसात के सीजन में यहां प्रतिवर्ष भूस्खलन, भूकटाव व अतिवृष्टि जैसी आपदाओं के चलते जन-धन का भारी नुकसान होता है। बीते साल ही विभिन्न आपदाओं में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई। करोड़ों की सरकारी और निजी संपत्ति आपदाओं की भेंट चढ़ गई। आपदा प्रबंधन विभाग ने 88 गांवों में सर्वे किया है। राज्य के 670 अटल आदर्श गांवों में आपदा राहत बचाव दलों का गठन किया गया है। प्रत्येक दल में आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित आठ सदस्य होंगे। यह सदस्य गांवों में ग्राम प्रधानों, ग्राम पंचायत व राजस्व कर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे ताकि आपदा के समय प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत पहुंचाई जा सके। आपदा की स्थिति में इस बार न्याय पंचायत स्तर पर गठित राहत बचाव दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।