संगीनों के साये में टाइगर
वह दिन दूर नहीं जब कार्बेट टाइगर रिजर्व का हर बाघ अत्याधुनिक हथियारों से लैस जवानों के सुरक्षा घेरे में होगा। इसके लिए एसटीपीएफ के गठन की कवायद शुरू कर दी गई है। राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने उत्तराखंड में दो यूनिटों के गठन का निर्णय लिया है।
विश्व भर में बाघों की संख्या लगातार घटती जा रही है। संरक्षित श्रेणी में होने के बावजूद इनकी सुरक्षा के लिए अभी तक ठोस कदम नहीं उठाये जा सके। सुरक्षा के आधे-अधूरे इंतजाम और लाठी-डंडों से लैस वनकर्मियों की गश्त को धता बताते हुए वन्य जीव तस्कर अपने मकसद को अंजाम दे रहे हैं और वन्य जीवों के अंगों की तस्करी नेपाल, भूटान, चीन आदि देशों में धड़ल्ले से की जा रही है। अभी हाल ही में की गई गणना में उजागर हुई टाइगर की गिरती संख्या ने राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण को चिंता में डाल दिया है। हालांकि उत्तराखंड में बाघों की संख्या में कुछ वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन उनकी सुरक्षा वन विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है। इसी के मद्देनजर अत्याधुनिक हथियारों व तकनीक से लैस स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स (एसटीपीएफ) के गठन की कवायद की जा रही है। जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इतना ही नहीं अंधेरे में देखने के लिए उन्हें नाइट विजन डिवाइज उपलब्ध कराए जाएंगे। केंद्र ने उत्तराखड में तैनाती के लिए दो यूनिटों के गठन का निर्णय लिया है। प्रत्येक यूनिट में 112 जवान व अधिकारी होंगे। कार्बेट पार्क व आसपास के क्षेत्र के साथ ही राजाजी पार्क से लेकर नेपाल बार्डर तक पूरी तराई बेल्ट जवानों के सुरक्षा घेरे में रहेगी।