आओ मिलकर झोड़े गाएं
झोड़ा कुमाऊं का सामूहिक नृत्य-गीत है । गोल घेरे में एक दूसरे की कमर अथवा कन्धों में हाथ डाले सभी पुरुषों के मंद, सन्तुलित पद-संचालन से यह नृत्य गीत प्रारम्भ होता है । वृत के बीच में खड़ा हुड़का-वादक गीत की पहली पंक्ति को गाता हुआ नाचता है, जिसे सभी नर्तक दुहराते हैं, गीत गाते और नाचते हैं । झोडों में उत्सव या मेले से सम्बन्धित देवता विशेष की स्तुति भी नृत्यगीत भावनाएँ व्यंजित होती हैं । सामयिक झोड़ों में चारों ओर के जीवन-जगत पर प्रकाश डाला जाता है । ‘झोडे’ कई प्रकार के होते हैं । परन्तु मेलों में मुख्यत: प्रेम प्रधान झोडों की प्रमुखता रहती है ।