Category: पहाडनामा

May 20, 2014 pcadm 0

बिहू : गौरवपूर्ण परंपरा की पहचान

असम सिर्फ एक प्रदेश का नाम नहीं, प्राकृतिक सौंदर्य, प्रेम, विभिन्न संस्कृतियों इत्यादि की झलक का प्रतीक है। असम की ढेर सारी संस्कृतियों में से बिहू एक ऐसी परंपरा है जो यहां का गौरव है। असम में मनाए जाने वाले बिहू मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं... बैसाख बिहू -…

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February 9, 2014 pcadm 0

लद्दाख में आपका स्वागत है।

लामाओं की भूमि लद्दाख आपको प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ रोमांच भी प्रदान करता है. अगर आप सड़क यात्रा द्वारा मनाली से रोहतांग पास होते हुए अपनी यात्रा तय करेंगे तो आपका रास्ता सीढ़ीनुमा होने के साथ-साथ उतराई-चढ़ाई से भरपूर होगा जहाँ रास्ते में आए दर्रे आपको अपने नैसर्गिक सौंदर्य से…

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December 2, 2013 pcadm 0

चाँचुरी – कुमाऊँ का नृत्य गीत

चाँचरी – चाँचरी अथवा चाँचुरी कुमाऊँ का समवेत नृत्यगीत है । इस नृत्य की विशेषता यह है कि इसमें वेश-भूषा की चमक-दमक अधिक रहती है । दर्शकों की आँखे नृतकों पर टिकी रहती है । ‘चाँचरी’ और झोड़ा नृत्य देखने में एक सा लगता है परन्तु दोनों की शैलियों में…

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November 30, 2013 pcadm 0

आओ मिलकर झोड़े गाएं

झोड़ा कुमाऊं का सामूहिक नृत्य-गीत है । गोल घेरे में एक दूसरे की कमर अथवा कन्धों में हाथ डाले सभी पुरुषों के मंद, सन्तुलित पद-संचालन से यह नृत्य गीत प्रारम्भ होता है । वृत के बीच में खड़ा हुड़का-वादक गीत की पहली पंक्ति को गाता हुआ नाचता है, जिसे सभी…

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November 28, 2013 pcadm 0

मां नंदा देवी का मेला

कुमाऊँ मंड़ल के अतिरिक्त भी नन्दादेवी समूचे गढ़वाल और हिमालय के अन्य भागों में जन सामान्य की लोकप्रिय देवी हैं। नन्दा की उपासना प्राचीन काल से ही किये जाने के प्रमाण धार्मिक ग्रंथों, उपनिषद और पुराणों में मिलते हैं। नन्दा के इस शक्ति रुप की पूजा गढ़वाल और कुमाऊँ दोनो…

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October 23, 2013 pcadm 0

संवेदनशील गांवों में दहशत

अस्कोट(पिथौरागढ़): बरसात का मौसम दस्तक देने लगा है। इसके साथ ही पहाड़ के उन सैकड़ों गांवों में दहशत व्याप्त होने लगी है जो दैवीय आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं, लेकिन राज्य का आपदा प्रबंधन तंत्र अभी तक इन गांवों में से केवल एक तिहाई गांवों का ही सर्वे…

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October 16, 2013 pcadm 0

कुमाऊँ का लोक नृत्य: छोलिया

विभिन्न अंचलों के अपने-अपने लोकनृत्य होते हैं। कुमाऊँ का लोकनृत्य छोलिया नृत्य कहा जाता है। इस नृत्य को करने वालों को छोल्यार कहा जाता है। यह नृत्य प्रायः पुरुषों द्वारा किया जाता है। यह नृत्य यहाँ श्रृंगार व वीर रस दो रूपों में देखने को मिलता है। कुमाऊँ के पाली…

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October 8, 2013 pcadm 0

भूस्खलन: कुमाऊं के कई इलाके संवेदनशील

भीमताल: मानसून में बरस रहे मेघों का रुख देख भू-विज्ञानी भूस्खलन के लिहाज से कुमाऊं के तमाम इलाकों की संवेदनशीलता के मद्देनजर चिंतित हैं। पिथौरागढ़, बागेश्वर व अल्मोड़ा के साथ ही नैनीताल के तमाम क्षेत्र खतरे के मुहाने पर हैं। जिले का पूरा ओखलकांडा ब्लॉक तो संवेदनशील श्रेणी में है…

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September 29, 2013 pcadm 0

साजिश के शिकार होते तेंदुए!

देवों की भूमि उत्तराखंड में पिछले दस सालों से एक भयानक साजिश चल रही है। इस साजिश के शिकार जंगल के जानवर हो रहे हैं। इस साजिश का सबसे बड़ा शिकार तेंदुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल उत्तराखंड अब तक 51 तेंदुओं की मौत हो चुकी है। वन…

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September 27, 2013 pcadm 0

भारत की आखिरी चाय की दुकान

उत्तराखंड के चमोली जिले में चीन की सीमा से लगे देश के अंतिम गाँव माणा में चाय की एक छोटी-सी दुकान बद्रीनाथ की यात्रा पर जाने वाले हर सैलानी और श्रद्धालु को बरबस अपनी ओर खींच लेती है । ये दुकान  भारत की आखिरी चाय की दुकान के नाम से…

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