भारत की आखिरी चाय की दुकान
उत्तराखंड के चमोली जिले में चीन की सीमा से लगे देश के अंतिम गाँव माणा में चाय की एक छोटी-सी दुकान बद्रीनाथ की यात्रा पर जाने वाले हर सैलानी और श्रद्धालु को बरबस अपनी ओर खींच लेती है । ये दुकान भारत की आखिरी चाय की दुकान के नाम से लोकप्रिय है। पर्यटक इस दुकान पर चाय की चुस्कियों का लुत्फ उठाने और फोटो खिंचवाने के दुर्निवार आकर्षण से खुद को रोक नहीं पाते हैं। शायद ही कोई ऐसा पर्यटक या श्रद्धालु होगा जिसके कदम बद्रीनाथ धाम से तीन किलोमीटर आगे माणा में इस दुकान पर लगे ‘भारत की आखिरी चाय की दुकान’ के बोर्ड को देखकर ठिठक नहीं जाते हों और वह वहाँ रुककर फोटो नहीं खिंचवाता या चाय नहीं पीता हो।
दुकान का साइन बोर्ड पर्यटकों को दूर से ही अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है जिस पर अंग्रेजी और हिन्दी सहित दस भारतीय भाषाओं में लिखा है ‘भारत की आखिरी चाय की दुकान में आपका हार्दिक स्वागत है’। दुकान पर जो बोर्ड लगा है उस पर उक्त पंक्तियों के नीचे लिखा है
सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र चाय की यह दुकान है चंद्रसिंह बड़वाल की जो लगभग पच्चीस साल से इस दुकान को चला रहे हैं। वे बताते हैं कि जब वे दस साल के थे तब उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए धनार्जन के वास्ते यह दुकान खोली थी और वे स्कूल में पढ़ने के लिए जाने से पहले और वहाँ से लौटने के बाद दुकान चलाया करते थे। उन्होंने बताया कि हर साल उनकी चाय की दुकान बद्रीनाथ के कपाट खुलने के समय खुलती है। अक्टूबर माह के अंत में सर्दियों में वे मवेशियों के साथ गोपेश्वर के निचले इलाकों में चले जाते हैं। समुद्र तल से 11 हजार फुट की ऊँचाई पर स्थित माणा गांव छह महीने तक बर्फ के आगोश में रहता