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भूस्खलन: कुमाऊं के कई इलाके संवेदनशील

kumaonभीमताल: मानसून में बरस रहे मेघों का रुख देख भू-विज्ञानी भूस्खलन के लिहाज से कुमाऊं के तमाम इलाकों की संवेदनशीलता के मद्देनजर चिंतित हैं। पिथौरागढ़, बागेश्वर व अल्मोड़ा के साथ ही नैनीताल के तमाम क्षेत्र खतरे के मुहाने पर हैं। जिले का पूरा ओखलकांडा ब्लॉक तो संवेदनशील श्रेणी में है ही। इसके अलावा भीमताल के भी कई हिस्से खतरे की जद में हैं।
भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ.बहादुर सिंह कोटलिया के मुताबिक कुमाऊं में सैकड़ों भ्रंश व थ्रस्टों की सक्रियता से भूस्खलन की आशंका बढ़ गई है। मंडल के बसौली, कपकोट, धारचूला, मागति नाला, तवाघाट, बलवाकोट आदि क्षेत्र पहले ही संवेदनशील श्रेणी में गिने जाते रहे हैं।
बकौल डॉ.कोटलिया, धारचूला में धारचूला बजांग, छिपलाकोट भ्रंश व अल्मोड़ा के कई क्षेत्रों में साउथ अल्मोड़ा थ्रस्ट गुजरता है। इन भ्रंश व थ्रस्टों को वीक जोंस भी कहा जाता है। इसके अलावा कपकोट दुलम में मुनस्यारी बेरीनाग थ्रस्ट की मौजूदगी ने कपकोट को अति संवेदनशील बना दिया है। श्री कोटलिया ने सूखीढ़ांग, टनकपुर के साथ ही पूरे ओखलकाडा व नैनीताल को संवेदनशील बताया है। वह कहते हैं, नैनीताल में बलिया नाला का रुख अपने मुख्य मार्ग से बदलना भूस्खलन के लिहाज से खतरनाक है। कैलाखान के पास से गुजरने वाला कुरिया फॉल्ट ज्योलीकोट में मिलता है जो अति संवेदनशील है। ज्योलीकोट में कुरिया के साथ ही लेक व मेन बाउंड्री फॉल्ट भी मिलते हैं। यही कारण है, क्षेत्र का निहाल नाला हर वर्ष तबाही मचाता है। उधर बेलवाखान, सूर्याजाला, खूपी, भीमताल का बोहराकून, आमपड़ाव, चोपड़ा, नैनीताल में राजभवन के नीचे वाला क्षेत्र, रामगढ़, गरमपानी, हरीश ताल, कुंडल भी अति संवेदनशील श्रेणी में आते हैं।

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