अलकनंदा: निर्जल हुई नदी
गोपेश्वर, एक तरफ अपनों के खोने गम तो दूसरी तरफ उसके शवदाह की चिंता। घंटो इंतजारी के बाद संदेशा आता है कि नदी में कुछ समय के लिये पानी बढ़ा दिया गया है। शवदाह की रस्म पूरा करें। तब जाकर कहीं नदी किनारे शवदाह की रस्म पूरी हो पाती है।
जी हां, दिल को झकझोर कर देने वाली यह पीड़ा है अलकनंदा नदी के किनारे बसे जोशीमठ ब्लॉक के पांडुकेश्वर व गोविन्दघाट के ग्रामीणों की। जो पवित्र नदी के किनारे तो बसे है, लेकिन जरूरत पड़ने पर इनको तिल-तिल पानी के लिये तरसना पड़ता है। उनकी इस पीड़ा का कारण और कुछ नहीं, बल्कि जेपी कंपनी की ओर से बनाई गई 400 मेगावाट की विष्णुप्रयाग जल विद्युत परियोजना है। इसके लिए नदी का पानी लामबगड़ के पास सुरंग में डाल दिया गया है। हालांकि, कंपनी का दावा है कि मानकों के अनुसार ही नदी में पानी छोड़ा गया है। यहीं से नदी निर्जल हो गई है। गांव में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसके शवदाह के लिए ग्रामीणों को निर्जल नदी के किनारे घंटों खडे़ रहना पड़ता है। ऐसे हालात में नदी में पानी छोड़ने के लिए कपनी को संदेश भेजा जाता है, तब कंपनी नदी में कुछ समय के लिये पानी की मात्रा बढ़ा देती है। इसके बाद ग्रामीण शवदाह की रस्म पूरी करते हैं। पांडुकेश्वर के पूर्व प्रधान बलदेव मेहता का कहना है कि नदी के सुरंग के अन्दर प्रभावित करने से ग्रामीण काफी दुखी है। जब भी कोई घटना होती है तो कंपनी का मुंह ताकना पड़ता है।
साभार दैनिक जागरण