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गोविन्द वन्य जीव विहार तस्करों के निशाने पर

govind-pashu-viharसीमान्त जनपद उत्तरकाशी का गोविन्द वन्य जीव पशु विहार में वन उत्पादों और जंगली पशुओं की तस्करी खेल जारी है। अन्तर्राष्ट्रीय वन्य जीव तस्करों का गिरोह लंबे समय से इस सीमांच क्षेत्र में अपनी पैठ बनाये हुए हैं। अवैध शिकार और तस्करी को रोकने के लिए दबिशें और गिरफ्तारी भी करते हैं। लेकिन ये सब खानापूर्ति के लिए होता है। विगत पाँच वर्षों में 22 तस्करों से 20 कुन्तल बहुमूल्य औषधीय पादप-अतीश, पंजा, जटामासी, कुटकी, मीठा, सालमपंजा, धूपढ़ाड़ी एवं दंदासे के दस बोरे पकड़े जा चुके हैं। वाइल्ड लाइफ क्राइम कन्ट्रोल ब्यूरो की मदद से अपर यमुना वन प्रभाग के वनाधिकारी ने तस्करों से नौगाँव के पास विलुप्तप्राय हिमालयी ऊदबिलाव की एक खाल व घुरल, काकड़ की 20 खालें बरामद की थीं। नैटवाड़, मोरी, जरमोला, नौगाँव तथा डामटा व जमुना पुल में वन निकासी चौकियाँ मौजूद हैं, परन्तु ये नाकाफी साबित हो रही हैं। वन विभाग के अनुसार विगत तीन वर्षों में इस पार्क में गुलदारों की संख्या 32 से घट कर 27 ही रह गयी। इसी प्रकार भूरा भालू 17 से घट कर 4, कस्तूरी मृग 114 में से घट कर 67 और काला भालू 198 से घट कर 171 ही शेष रह गये। घुरड़ भी 377 में से 348 और भरल 167 में से 97 ही बचे हैं।
957.96 वर्ग किमी. में फैले गोविन्द पशु विहार के अन्तर्गत 42 ग्राम आते हैं। तस्कर इन ग्रामीणों में से ही सहयोगी ढूँढ लेते हैं। पकड़े जाने पर इन लोगों को ही कानून के शिकंजे में फँसाया जाता है। असली गिरोह को अब तक विभाग गिरफ्तार करने में नाकाम ही साबित हुआ है।
गोविन्द वन्य जीव पशु विहार के उपनिदेशक के मुताबिक पशु विहार में स्वीकृत पदों के सापेक्ष पाँच गुना वन कर्मी कम हैं। इस क्षेत्र में बसे प्रत्येक गाँव से एक मुखबिर नियुक्त करने का प्रस्ताव उन्होंने शासन को भेजा है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत हुआ तो तस्करी पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
कंटेट कर्टसी
नैनीताल समाचार – प्रेम पंचोली

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