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खली: गाँव से अमरीका तक का सफ़र

khaliअंतरराष्ट्रीय कुश्ती की दुनिया में ‘द ग्रेट खली’ के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले दलीप सिंह राणा इन दिनों भारत में हैं. खली ने भारत के पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश से अमरीका तक का सफ़र तय किया है.

द ग्रेट खली से बातचीत

‘द ग्रेट खली’ रिंग में जितने क्रूर दिखते हैं असल जिंदगी में वे उतने ही खुशमिज़ाज इंसान हैं. उन्होंने दिल्ली में बीबीसी से अपने जीवन के कई पहलुओं पर बातचीत की:

यह बताएँ भारत पहुँचकर जिस तरह का प्यार आपको मिल रहा है. उसे देखकर कैसा लग रहा है आपको ?

मुझे उम्मीद नहीं दी कि मुझे हिंदुस्तान में इतना प्यार मिलेगा. बुधवार को मेरा दिल्ली के ओखला मैदान में शो था. वहाँ जितने लोग आए थे, उसे देखकर मुझे काफ़ी खुशी हुई. हिंदुस्तान आना काफ़ी सफल रहा.

आप अपने जीवन के बारे में कुछ बताइए. आप यहाँ तक कैसे पहुँचे ?

मैं हिमाचल के एक गाँव के एक सामान्य परिवार का हूँ. वहाँ से मैंने पंजाब पुलिस की नौकरी की, जिसके बाद मैंने बॉडी बिल्डिंग शुरू की और इसके लिए मै काफ़ी घूमा. जिसके बाद मैंने तय किया कि अब मैं रेसलिंग में जाऊँगा. उसके बाद मैंने सैन फ़्रांसिस्को जाकर एक साल की ट्रेनिंग ली. जिसके बाद मैंने जापान की सबसे बड़ी कंपनी न्यू जापान प्रोफ़ेशनल रेसलिंग से कॉंट्रैक्ट किया. कॉंट्रैक्ट ख़त्म होते ही मुझे फ़िल्मों के ऑफ़र मिले और मैंने फ़िल्मों में काम किया. उसके बाद मैं डब्ल्यूडब्ल्यूई में कुश्ती लड़ने चला आया.

आप बचपन में अपने डील-डौल के कारण अन्य बच्चों से अलग दिखते होंगे. क्या बच्चे आपको छेड़ते थे या उन्हें आपसे पिटने का डर रहता था ?

बचपन में मैं अपने परिवार और बच्चों में सबसे बड़ा था. मुझे लोग कहते थे कि तुम बच्चों के साथ खेलते हो…लेकिन मुझे लगता था कि अरे….मैं भी तो बच्चा ही हूँ…कौन सा बहुत बड़ा हो गया हूँ. बचपन बचपन ही होता है….

बचपन के दिन कैसे रहे, क्या-क्या करते थे, कौन-कौन से खेल खेलते थे ?

कुछ खास नहीं था. हिमाचल में वैसे ही कोई ख़ास खेल नहीं होता…कभी-कभी कुश्ती ही लड़ लेते थे. किसी ख़ास पर खेल ध्यान नहीं था.

बचपन में कभी बच्चों की पिटाई भी की क्या ?

जब कोई ‘पंगा’ लेता था तो उसकी पिटाई तो होती ही थी.

रिंग के अंदर जो आपकी छवि है, वह काफ़ी ड़राने वाली है. लेकिन आपसे बात करते हुए ऐसा लग नहीं रहा है. आप काफ़ी शांत स्वभाव के हैं. इस पर आपका क्या कहना है?

देखिए वह मेरा बिज़नेस है. बिज़नेस के समय बिज़नेस का काम ही करना चाहिए. ऐसा थोड़े ही है कि अगर कोई बॉक्सर सड़क पर जा रहा है तो किसी की पिटाई कर दे. हर काम सही जगह और समय पर ही ठीक लगता है.

क्या आपको क्रिकेट का शौक था, कभी क्रिकेट देखते थे. आपका पसंदीदा क्रिकेटर कौन है ?

हिंदुस्तान की ओर से खेलने वाले सभी क्रिकेटर मेरे फ़ेवरेट हैं. पहले गाँव में केबल का चलन तो था नहीं…लेकिन पंजाब में मैं क्रिकेट देखता था. जब मैं बाहर गया तो समय ही नहीं मिलता था. वहीं अब मैं जहाँ रहता हूं वहाँ केबल की समस्या है. मैं वहाँ इन सभी चीजों और हिंदुस्तानी सभ्यता को मिस करता हूँ.

वहाँ बॉलीबु़ड भी मिस करते हैं क्या. फ़िल्में देखने का मौका मिलता है?

हाँ, फ़िल्में मिस करता हूँ, लेकिन मैं न्यूज़, डिस्कवरी और खेल चैनल देखना अधिक पसंद करता हूँ.

फ़िल्में देखने का शौक था आपको… कोई फ़ेवरेट फ़िल्म स्टार?

ठीक है, बहुत अच्छी फ़िल्में बनाई है इन लोगों ने. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अभिनेता बनूंगा. मुझे लगता था कि ये अभिनेता हैं…यह इनका काम है, मैं पंजाब पुलिस का जवान हूँ…मैं अपना काम करूंगा. बॉडी बिल्डिंग करूंगा, खेलूंगा.

आपको एक्टिंग करते हुए कैसा लगता है, अजीब तो नहीं लगता कि ये मैं क्या कर रहा हूँ?

मुझे लगता है कि मैं जो भी करूँ अच्छा करुँ. जो प्रोड्यूसर और लोगों को अच्छा लगेगा वह काम करुँगा….जो मेरे दिल को अच्छा लगेगा.

इसके अलावा क्या शौक हैं आपके. खाने-पीने का कोई ख़ास शौक ?

मैं शाकाहार और फल पसंद करता हूँ.

आपकी अपनी पत्नी हरमिंदर कौर से मुलाकात कैसे हुई. क्या यह पहली नज़र का प्यार था ?

नहीं यह एक सामान्य सी कहानी है.

क्या ख़ास बात देखी थी आपने उनमें ?

वह बहुत अच्छा लड़की है, वह मेरी जीवन साथी बनने के क़ाबिल है और मैं ख़ुश हूँ कि अब हम साथ-साथ हैं.

रिंग के अंदर की जो फ़ाइट होती है. उसमें कभी आपको कोई गंभीर चोट लगी है क्या?

जापान में मुझे एक गंभीर चोट लगी थी. डब्ल्यूडब्ल्यूई में लड़ते हुए मुझे एक बार घुटने पर चोट लगी थी.

रिंग के बाहर अन्य पहलवानों से दोस्ती होती है क्या आपकी. क्या कभी आपस में बातचीत होती है या कभी साथ-साथ घूमने जाते हैं ?

साथ-साथ घूमने का तो टाइम ही नहीं मिलता, लेकिन हैलो-हाय तो रिंग और उसके बाहर सबके साथ होती है.

क्या आप ख़ुद को भारतीय युवाओं के लिए एक रोल मॉडल के रूप में देखते हैं ?

मैं भारतीय युवाओं को भाइयों की तरह देखता हूँ. अगर वह मुझे अपना रोल मॉडल समझते हैं तो उसका मुझे पता नहीं. सभी मेरे भाई हैं, रोल मॉडल जैसा कुछ नहीं है. जो नशे की ओर जा रहे हैं, मैं उन्हें यहीं सलाह देता हूँ कि वे ड्रग्स न लें. देश तरक्की कर सके और खेलों में हमारा नाम हो. जो मेरे सच्चे भाई और सच्चे हिंदुस्तानी होंगे वह इन चीजों का ख़्याल रखेंगे.

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