हिमालयवासियों ने बनवाया येती का चित्र
ब्रिटेन के डर्बीशायर इलाक़े की एक महिला ने येती का एक चित्र जारी किया है. ये चित्र उन्होंने कथित तौर पर हिमालयवासियों के आखों देखे विवरण के आधार पर बनाया है.
येती यानी हिममानव एक ऐसा जीव है जिसके बारे में ढेरों किंवदंतियाँ हैं और अब तक इसकी कोई तस्वीर नहीं है.
वैज्ञानिक इस विवरण को दिलचस्पी के साथ देख रहे हैं जिसे इस महिला ने जारी किया है.
पॉलियाना पिकरिंग ने यह चित्र भूटान के ब्रोकपास जनजाति के लोगों से बातचीत के आधार पर बनाया है. यह लोग भूटान के साकतेन इलाक़े में रहते हैं.
इस कलाकार का यह भी दावा है कि उन्हें येती की एक सचमुच की खोपड़ी दिखाई गई. उनके अनुसार सौ साल पुरानी यह खोपड़ी उन्हें दूर दराज़ इलाके के एक मठ में दिखाई गई.
उनका ये चित्र 14 जून से शुरु हो रही भ्रमणशील कला प्रदर्शनी का हिस्सा होगा.
उनका कहना है, “मुझे जब उन्होंने मिगोई (येती का स्थानीय नाम) के लगातार दिखने की बात बताई तो मैं हैरान रह गई. उन्होंने मुझे कई घटनाएँ सुनाई जब येती लोगों को उठा ले गए.”
पिकरिंग ने कहा कि चारों तरफ़ बैठे लोग उन्हें बताते गए कि येती कहाँ से कैसा दिखता है.
उनका कहना है, “उन लोगों ने मुझे इतने विस्तार से बताया कि मैंने चित्र भी बना लिया.”
सुश्री पिकरिंग के अनुसार उन लोगों को इस बात पर अचरज था कि कुछ लोगों को येती के अस्तिव पर यकीन नहीं है. उनके लिये ये किसी दूसरे जानवर की तरह स्थानीय जंगली जानवर है.
ब्रोकपास लोगों के अनुसार येती एक बहुत ही शर्मीला, बंदर की तरह का जानवर है.
करीब आठ फ़ुट ऊँचे येती की ख़ाल काली या लाल सी बताई गई है.
येती विशेषज्ञ जोनाथन डाऊन्स के अनुसार अगर पिकरिंग द्वारा देखी गई खोपड़ी वाकई येती की है तो ये धमाकेदार खोज हो सकती है.
वे कहते हैं, “अगर ये खोपड़ी सही है और इसकी हड्डियाँ जुड़ी हुई हैं तो ये 1930 के बाद से जीव विज्ञान की सबसे बड़ी खोज है.”
वर्ष 1930 में जो खोज हुई थी वह खोज सीलकेंथ मछली की थी.
डाऊन्स जीव विज्ञान के एक केंद्र से जुड़े हैं.
यह केंद्र जल्द ही एक पाँच सदस्यीय खोजी दल जून के मध्य में रुस के कारबादीनो बलकारीया इलाक़े में येती की खोज में जाएगा.
डाऊन्स का कहना है, “येती के करीब पाँच लाख पुराने ‘जायगैंटोपिथिकस ब्लैकी’ के वंशज होने की संभावना है.”
सभार : http://www.bbc.co.uk/hindi/science/story/2008/06/080606_yeti_bhutan.shtml