हमारे पूर्वोत्तर राज्यों को सुखाना चाहता है चीन
चीन तिब्बत के पठार से बहकर भारत आने वाली ब्रह्मपुत्र नदी पर तीन बांध बनाने जा रहा है। वह सिर्फ बांध ही नहीं बना रहा बल्कि ब्रह्मपुत्र नदी के बहाव को मोड़कर अपने इलाके की ओर करना चाहता है। इससे आने वाले वक्त में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों खासकर अरुणाचल प्रदेश और असम में पानी का संकट खड़ा हो सकता है। ये तीन बांध जिनके नाम जिएक्सु, जांग्मू और जियाचा हैं, सभी ब्रह्मपुत्र की मुख्यधारा में 25 किलोमीटर के इलाके में स्थित हैं। खास बात यह है कि चीन ने इन बांधों के बारे में भारत से कभी जानकारी साझा नहीं की। इसके अलावा 30 अन्य प्रोजेक्ट भी हैं जिनके बारे में चीन ने भारत को कुछ नहीं बताया।
चीन के इस रवैये से भारत की चिंता इस बात से है कि कहीं चीन धीरे-धीरे कर ब्रह्मपुत्र नदी की दिशा ही अपनी ओर न मोड़ ले। इस इलाके में चीन ने आधुनिकतम तकनीक के अलावा अथाह धन भी झोंक दिया है। अपने उत्तरी-पश्चिमी इलाकों को सरसब्ज करने के इरादे से चीन पूरे इलाके में नहरों का जाल बिछा रहा है।
ब्रह्मपुत्र बांधों पर साझा कार्ययोजना बनेः मनमोहन
दक्षिण अफ्रीका के डर्बन में हुए ब्रिक्स समिट में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र पर तीन बांध बनाने की योजना का मसला उठाया। इस दौरान चीनी राष्ट्रपति जी जिनपिंग से उन्होंने तकरीबन 45 मिनट लंबी बातचीत की। यहा दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच पहली हाई लेवल मीटिंग थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को एक नई दिशा देने के बात कही। ब्रिक्स समिट के दौरान उठे इस मुद्दे के जरिए मनमोहन ने इस मामले को दुनिया के सामने भी लाने की कोशिश की जो आगे चलकर भारत के लिए लाभदायक हो सकता है।
27 हजार नदियां खत्म हो गईं चीन में
चीन में 1990 से अब तक के दो दशकों में छोटी-बड़ी तकरीबन 27 हजार नदियां लुप्त हो गई हैं। चीन के जल संसाधन मंत्रालय और नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के एक 3-वर्षीय अध्ययन से यह बात सामने आई है। 1990 के दशक में चीन में 100 वर्गकिलोमीटर व इससे बड़े कैचमेंट एरिया वाली 50 हजार से ज्यादा नदियां थीं। वहीं, फिलहाल के आंकड़ों में इनकी संख्या 22909 ही दर्ज की गई। यानी चीन अपने संसाधन खत्म कर भारत व बांग्लादेश जैसे बड़े देशों के जल संसाधनों पर भी कब्जा करना चाह रहा है।