December 12, 2013 pcadm 0

मां का दुलार : बच्चे को दुलारती अल्पाका

अल्पाका का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी उत्पत्ति लगभग 1000 साल पहले हुई। यह दक्षिण अमेरिका में पायी जाती है। यह मुख्य रूप से एण्डीज पर्वत पर समुद्रतल से ३५०० मीटर की ऊंचाई तक मिलती है। यह दक्षिण अमेरिकी संस्कृति की पहचान मानी जाती है। पालतू जानवर होने के कारण…

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December 2, 2013 pcadm 0

चाँचुरी – कुमाऊँ का नृत्य गीत

चाँचरी – चाँचरी अथवा चाँचुरी कुमाऊँ का समवेत नृत्यगीत है । इस नृत्य की विशेषता यह है कि इसमें वेश-भूषा की चमक-दमक अधिक रहती है । दर्शकों की आँखे नृतकों पर टिकी रहती है । ‘चाँचरी’ और झोड़ा नृत्य देखने में एक सा लगता है परन्तु दोनों की शैलियों में…

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November 30, 2013 pcadm 0

आओ मिलकर झोड़े गाएं

झोड़ा कुमाऊं का सामूहिक नृत्य-गीत है । गोल घेरे में एक दूसरे की कमर अथवा कन्धों में हाथ डाले सभी पुरुषों के मंद, सन्तुलित पद-संचालन से यह नृत्य गीत प्रारम्भ होता है । वृत के बीच में खड़ा हुड़का-वादक गीत की पहली पंक्ति को गाता हुआ नाचता है, जिसे सभी…

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November 28, 2013 pcadm 0

मां नंदा देवी का मेला

कुमाऊँ मंड़ल के अतिरिक्त भी नन्दादेवी समूचे गढ़वाल और हिमालय के अन्य भागों में जन सामान्य की लोकप्रिय देवी हैं। नन्दा की उपासना प्राचीन काल से ही किये जाने के प्रमाण धार्मिक ग्रंथों, उपनिषद और पुराणों में मिलते हैं। नन्दा के इस शक्ति रुप की पूजा गढ़वाल और कुमाऊँ दोनो…

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November 3, 2013 pcadm 0

ऐपण – पहाड़ की रंगोली कला

उत्तरांचल में शुभावसरों पर बनायीं जाने वाली रंगोली को ऐपण कहते हैं। ऐपण कई तरह के डिजायनों से पूर्ण होता है। ऐपण के मुख्य डिजायन -चौखाने , चौपड़ , चाँद, सूरज , स्वस्तिक , गणेश ,फूल-पत्ती, बसंत्धारे तथा पो आदि हैं। ऐपण के कुछ डिजायन अवसरों के अनुसार भी होते…

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October 29, 2013 pcadm 1 0

रंगयाली पिछोड़ा

उत्तरांचल में विवाह के आलावा अन्य अवसरों पर पहने जाने वाली चुनरी को रंगयाली पिछोड़ा कहते है। यह संयुक्त रूप से लाल तथा पीले रंग का होता है। ऐपण की तरह इसमें भी शंख, चक्र, स्वस्तिक, घंटा , बेल-पत्ती, फूल, आदि शुभ चिन्हों का प्रयोग होता है। पहले लोग घर…

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October 23, 2013 pcadm 0

कोहिमा का हार्नबिल फेस्टिवल

भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के सेवन सिस्टर्स के नाम से प्रसिद्ध सात राज्यों में नागालैंड अपनी विशिष्ट संस्कृति के लिए अलग ही पहचान रखता है। राज्य सरकार द्वारा आयोजित हॉर्नबिल फेस्टिवल में राज्य के 16 विभिन्न कबीले या जनजातियां अपने-अपने रीति-रिवाजों, परम्पराओं एवं लोकनृत्यों-संगीत का प्र्दशन तो करते ही हैं,…

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October 23, 2013 pcadm 0

संवेदनशील गांवों में दहशत

अस्कोट(पिथौरागढ़): बरसात का मौसम दस्तक देने लगा है। इसके साथ ही पहाड़ के उन सैकड़ों गांवों में दहशत व्याप्त होने लगी है जो दैवीय आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं, लेकिन राज्य का आपदा प्रबंधन तंत्र अभी तक इन गांवों में से केवल एक तिहाई गांवों का ही सर्वे…

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October 20, 2013 pcadm 0

सिमट रही है गंगा की धारा

गंगा इन दिनों अजीब विरोधाभासों का सामना कर रही है। एक ओर पहाड़ों में बर्फबारी हो रही है, वहीं दूसरी ओर टिहरी में बनाये गये भीमकाय बाँध के प्रबंधकों ने अधिक पानी रोककर जलधारा को पहले से भी सीमित कर दिया है। ठंड बढ़ने के साथ ही पहाड़ों में बर्फबारी…

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