भारत के खली ने मचाई खलबली
एक भीमकाय इंसान जो कभी हिमाचल प्रदेश के खेतों में काम करता था और अब अंतरराष्ट्रीय कुश्ती का चमकता सितारा है. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं खली की.
अमरीका के अटलांटा शहर में रहने वाले खली का असली नाम दलीप सिंह राणा है.
खली कुछ हॉलीवुड फ़िल्मों में काम कर चुके हैं और अब उन्हें बॉलीवुड से भी काम के प्रस्ताव आ रहे हैं.
उन्होंने वर्ष 2005 की फ़िल्म ‘द लॉंगेस्ट यार्ड’ और ‘गेट स्मार्ट’ जैसी फ़िल्मों में काम किया.
पंजाबी मुंडा
छत्तीस वर्षीय राणा आजकल भारत में हैं. वो अपना कुछ समय घर में बिताएंगे और अपने जीवन पर बनने वाली वृत्तचित्र के लिए शूटिंग भी करेंगे.
दलीप सिंह राणा अमरीका में डब्ल्यूडब्ल्यूई में लड़ने वाले पहले भारतीय हैं. वो दुनियाभर में मशहूर डब्ल्यूडब्ल्यूई योद्धा हल्क होगन और द रॉक के साथ काम करते हैं.
खली के बारे में डब्ल्यूडब्ल्यूई की वेबसाइट कहती है कि वो भारत के रहने वाले हैं, सात फ़ीट तीन इंच लंबे हैं और उनका वज़न 420 पाउंड है.
वेबसाइट का कहना है कि खली भारत के जंगल में घूमते हैं और उन्हें अजगरों से डर नहीं लगता. वेबसाइट की माने तो ‘महान खली’ पश्चिम बंगाल के बाघों से भी दो-दो हाथ कर चुके हैं.
खली कहते हैं कि अमरीका के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था कि डब्ल्यूडब्ल्यूई में कभी कोई भारतीय भाग लेगा, लेकिन वे इसका मज़ा लूट रहे हैं.
बढ़ती लोकप्रियता
दो वर्ष पहले अमरीका की सरकार डब्ल्यूडब्ल्यूई के पहलवानों को इराक में सैनिकों के मनोरंजन के लिए ले जाना चाहती थी.
इन पहलवानों की एक शुरुआती सूची बनाई. इस शुरुआती सूची में खली का भी नाम था. हालांकि अंतिम सूची में उनका नाम नहीं था.
खली के प्रवक्ता अमित स्वामी हैं, वो उत्तरी राज्य हरियाणा के रहने वाले हैं और ख़ुद एक बॉडीबिल्डर हैं.
अमरीका के फ़िल्म कलाकार स्टीन कैरेल ने खली के साथ ‘गेट स्मार्ट’ फ़िल्म में काम किया था.
वो कहते हैं,” उनका हाथ इतना विशाल है कि अगर आप उनसे हाथ मिलाएँ तो आपका हाथ कहीं खो जाता है और वो चाहें तो अपने हाथ से आपका सर मसलकर रख दें.”
कैरेल कहते हैं कि खली बेहद मधुर स्वभाव के हैं और ‘मुझे नहीं लगता कि उन्हें पता था कि वो एक फ़िल्म में काम कर रहे हैं.’
उधर खली उर्फ़ राणा का कहना है कि वो सिर्फ़ चुनी हुई भारतीय फ़िल्में ही करेंगे.
खली के शुरुआती दिनों की बात करें तो वो रोड परियोजनाओं के लिए पत्थर तोड़ने का काम करते थे.
उनके गाँव धिराना की महिलाएं उन्हें भारी भरकम काम, जैसे जानवर को उठाकर एक जगह से दूसरी जगह रखना जैसे काम करवाती थीं.
मुश्किलें
खली का जीवन उस वक्त बदला जब वो अपने दोस्त स्वामी के साथ दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अपने पसंदीदा पहलवान डोरियन येट्स से मिलने गए.
येट्स खली का डीलडौल देखकर बेहद प्रभावित हुए.
जल्द ही खली अपनी किस्मत आज़माने जापान रवाना हो गए. वहाँ बिताए एक साल में उन्होंने कई ‘झूठी’ लड़ाइयाँ लड़ी.
उसके बाद वह अमरीका चले गए जहाँ उन्होंने ऐसी लड़ाइयों को पेशा बना लिया.
खली का कहना है कि जिस मुक़ाम पर हैं, वहाँ पहुंचना बेहद मुश्किल था.
आराम की ज़िंदगी
डब्ल्यूडब्ल्यूई कार्यक्रम वालों को राणा का नया नाम ढूढ़ने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी. किसी ने उसे जायंट सिंह कहा तो तो किसी ने उसे भीम नाम से संबोधित किया.
किसी ने कहा कि राणा का नाम भगवान शिव रखा जाए, लेकिन इस नाम को भी ख़ारिज कर दिया गया क्योंकि इससे भारत में रहने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँच सकती थी.
फिर राणा ने माँ काली का नाम सुझाया और उनकी विनाशकारी शक्तियों के बारे में बताया. सबको यह नाम बेहद पसंद आया. लेकिन विदेशियों ने उनका नाम खली कर दिया.
राणा का कहना है कि वो शाकाहारी हैं और तंबाकू और शराब से दूर रहते हैं.
वो कहते हैं कि वह अपनी पत्नी हरमिंदर कौर के साथ एक साधारण ज़िंदगी व्यतीत करते हैं.
राणा यानि खली का कहना है कि वह डब्ल्यूडब्ल्यूई से कुछ और वर्ष जुड़े रहेंगे.
सभार : http://www.bbc.co.uk/hindi/sport/story/2008/05/080507_khali_the_great.shtml