खतरे में ऐतिहासिक बद्रेश्वर मंदिर !
अल्मोड़ा : लगभग ढाई शताब्दी पुराना भगवान शिव का बद्रेश्वर मंदिर देखभाल के अभाव में अपने अस्तित्व को खोने की कगार पर है। उल्लेखनीय है कि मंदिर के नाम से ही इस इलाके का नाम बद्रेश्वर पड़ा है।
सम्वत् 1843 यानि कि सन 1786 में तत्कालीन नगर के प्रतिष्ठित व कुलीन जोशी परिवार ने इसकी स्थापना की थी। मंदिर की स्थापना के पीछे भी पुत्र की मनोकामना पूरी होने की बात कही जाती है। पूर्व में जोशी परिवार ने मंदिर की देखभाल के लिए बाकायदा गोस्वामी परिवार को इसका पुजारी नियुक्त किया। मंदिर के पूजा-पाठ आदि के खर्च की भी व्यवस्था जोशी परिवार ने की। हालांकि आज भी गोस्वामी परिवार विधिवत प्रात: संध्या में नियमित पूजा-अर्चना करता है, लेकिन निजी सम्पत्ति होने के कारण न तो गोस्वामी परिवार ही इसमें कोई हस्तक्षेप कर सकता है। न ही नगर के लोग चाहते हुए भी जीर्ण-शीर्ण हो रहे ऐतिहासिक मंदिर की रक्षा के लिए कोई पहल ही कर सकता है। मंदिर के समीप रहने वाले शुकदेवानंद पांडे का कहना है कि पिछले 15-20 वर्षो से गोस्वामी परिवार अपने ही स्रोतों से मंदिर की सेवाभाव में लगा है। हालांकि जोशी परिवार की ओर से अब उन्हें कोई इमदाद नहीं मिल रही है। नगर के अनेक नागरिक जो आस्था का भाव मंदिर के प्रति रखते हैं, इसके निर्माण की पहल करते हैं, लेकिन जोशी परिवार इस पर सहमत नहीं होते। इस कारण शताब्दियों पुराना आस्था का यह मंदिर कभी भी धराशायी हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि इस मंदिर में प्रत्येक सोमवार व सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। ऐसी स्थिति में कभी भी मंदिर परिसर में दुर्घटना हो सकती है। लकड़ीयुक्त छत्र जो गल चुका है, अब तक कई श्रद्धालुओं को चोटिल कर चुका है। लगातार गिर रही गली-सड़ी लकड़ियां खतरे का संकेत दे रही हैं।