अब बंदरों के निर्यात का प्रस्ताव
भारत के शहरों में उत्पात मचाने वाले बंदरों से छुटकारा पाने का एक नायाब रास्ता हिमाचल प्रदेश की सरकार को मिल गया है। हिमाचल सरकार बंदरों को ‘निर्यात’ करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रही है, इन बंदरों के लिए पहली माँग मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान से आई है। राज्य के अधिकारियों का कहना है कि शहरों में रहने वाले बंदर एक बड़ी समस्या हैं और उनसे छुटकारा पाने का यह अच्छा तरीक़ा है। हिमाचल प्रदेश भारत के उन राज्यों में से एक है जहाँ बंदरों की बहुत बड़ी आबादी है, शिमला जैसे शहरों में उनकी कूदफाँद और तोड़फोड़ से काफ़ी लोग त्रस्त हैं। ताज़ा गिनती के अनुसार हिमाचल प्रदेश में लगभग ढाई लाख बंदर हैं, इनमें से हज़ारों बंदर खाने की तलाश में शहरों का रूख़ करते हैं और समस्याएँ पैदा करते हैं।
ताजिकिस्तान की सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि वह बंदरों का आयात करना चाहते हैं। अभी हाल ही में शिमला सहित कई पर्यटन स्थलों से बंदरों को पकड़कर जंगलों में छोड़ने का अभियान शुरू किया गया है जिसकी वजह से लोगों ने राहत की साँस ली है। इस अभियान के तहत सिर्फ़ शिमला में ही अब तक लगभग पाँच सौ बंदरों को पकड़कर रखा गया है, ताजिक सरकार के अनुरोध के बाद अधिकारी उत्साहित हैं कि वे अपने सिर की बला को ऐसे देश में भेज सकते हैं जहाँ उनकी बड़ी माँग है। हिमाचल सरकार के वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एके गुलाटी कहते हैं, “ताजिक सरकार ने बंदरों का आयात करने का प्रस्ताव रखा था, उन्होंने केंद्र सरकार से संपर्क किया था और केंद्र ने हमसे बंदरों को भेजने के बारे में विचार करने को कहा है।”
अधिकारियों का कहना है कि इन बंदरों को ताजिकिस्तान के चिड़ियाघरों और पार्कों में रखा जाएगा। वन विभाग का कहना है कि सिर्फ़ शिमला में ही दो हज़ार से अधिक बंदर हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लंगूर भी हैं।