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तालिबान के दुश्मन ड्रोन असम में गैंडों को बचाएंगे

Rhinoपाक-अफगान सीमा पर तालिबान के दांत खट्टे करने वाले मानवरहित छोटे ड्रोन विमान अब असम में काजीरंगा के गैंडों की निगरानी करेंगे। अब शिकारी गैंडों का शिकार तो दूर काजीरंगा में फटकते भी पाए गए तो नेशनल पार्क के रेंजर उन्हें धर दबोचेंगे। पिछले कुछ महीनों में कई गैंडों के शिकार के मद्देनजर ही सरकार ने यह कदम उठाया है।

काजीरंगा नेशनल पार्क में दुनियाभर के दो-तिहाई एक सींग वाले गैंडे पाए जाते हैं। वहीं, यह बड़ी तादाद में हाथियों, बाघों और अन्य वन्यजीवों का भी घर है।

नेपाल के चितवन नेशनल पार्क में भी ड्रोन व अन्य शिकार-रोधक संसाधनों की मदद ली गई है।

इसलिए जरूरत पड़ी ड्रोन की

Droneमौजूदा साल के पहले तीन महीनों में ही 16 गैंडों का शिकार किया जा चुका है। वहीं पिछले साल 22 एक सींग वाले गैंडों को शिकारियों ने मौत के घाट उतार दिया। काजीरंगा का इलाका कहीं-कहीं दुर्गम तो कहीं बहुत ज्यादा दलदली है जहां फॉरेस्ट रेंजर नहीं पहुंच सकते। इलाका भी 480 वर्ग किलोमीटर में फैला है। असम के वन मंत्री रोकीबुल हुसैन के मुताबिक शिकार रोकने के लिए यह कदम जरूरी था। मानवरहित एरियल व्हीकल ड्रोन आसानी से इन इलाकों में पहुंच सकता है। यह 200 मीटर की ऊंचाई बनाए रखते हुए तकरीबन 90 मिनट तक उड़ सकता है व जंगल की पग-पग की जानकारी दे सकता है। अब शिकारी बच नहीं पाएंगे।

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