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साइबेरिया में फिर दिखाई दिए हिममानव

Yetiलंबे समय से रहस्यमय पहेली बना येति (हिममानव) एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार रूस के साइबेरिया में येति को देखे जाने की खबर सामने आई है। साइबेरिया के केमेरोव क्षेत्र में बीते कुछ हफ्तों में येति के तीन बार दिखने के मामले दर्ज किए गए हैं। साइबेरियन टाइम्स ने स्थानीय सरकारी अधिकारी सरगेई अद्ल्याकोव के हवाले से बताया कि शॉरस्की नेशनल पार्क के एक इंस्पेक्टर को येति की झलक देखने को मिली। अधिकारी के मुताबिक वो प्राणी भालू जैसा नहीं था, उसने झाड़ियों की कुछ शाखाएं तोड़ी और पलक झपकते ही गायब हो गया।

इससे पहले अगस्त माह में भी एक मछुआरे ने येति देखने का दावा किया। वीताले वर्शीनिन ने अन्य अखबार को जानकारी दी कि उसने नदी किनारे दो विशालकाय प्राणियों को पानी पीते देखा। वर्शीनिन के मुताबिक जब उन दोनों ने मुझे देखा तो वह सीधे खड़े हुए और जंगल की तरफ चले गए। मछुआरे के मुताबिक उन प्राणियों के शरीर पर काफी बाल थे और वह इंसानों की तरह चल रहे थे।

केमेरोव के कुजबास इलाके में भी कुछ अधिकारियों ने येति को देखने का दावा किया है। अधिकारियों के मुताबिक नदी से गुजरते समय उन्हें इंसानों की तरह दिखने वाले जानवर दिखाई दिए। अधिकारियों के मुताबिक जब उनकी तरफ हाथ हिलाकर इशारा किया गया तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और जंगलों में गायब हो गए।

रूस के मशहूर येति विशेषज्ञ ईगोर बुर्तसेव के मुताबिक बीते वर्ष आयोजित हुए येति सम्मेलन और खोज अभियान के दौरान भी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को येति की मौजूदगी के नूमने मिले थे। इनमें येति के बाल भी शामिल थे। जिनकी डीएनए रिपोर्ट फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई है। ईगोर बुर्तसेव का कहना है कि येति आधुनिक मानव और निएंडरथल मानव के बीच की टूटी कड़ी हैं। हालांकि कई वैज्ञानिक येति के अस्तित्व को महज एक कल्पना मानते हैं। बुर्तसेव इससे पहले भी केमोरोवो क्षेत्र में 30 से अधिक हिममानव मौजूद होने का दावा कर चुके हैं।

येति से जुड़े तथ्य
पहली बार 1832 ई. में येती के अस्तित्व का पता चला।
पर्वतारोही बी.एच. होजसन के गाइड ने नेपाल में ट्रैकिंग के दौरान विशालकाय प्राणी देखा।
होजसन ने एशियाटिक सोसाइटी के जर्नल में इसका उल्लेख किया।
होजसन ने ही पहली पर इस विचित्र प्राणी को येती नाम दिया था।
रॉयल ज्योग्रॉफिकल सोसाइटी के फोटोग्राफर एम.ए. टॉमबाजी ने
सन् 1925 में जेमू ग्लेशियर में येति देखने का दावा किया।
टॉमबाजी ने ऐसे पदचिह्न देखे जो सात इंच लंबे व चार इंच चौड़े थे।
सर एडमंड हिलरी और तेनजिंग नोर्गे ने भी 1953 में एवरेस्ट चढ़ाई के दौरान
बड़े-बड़े पदचिह्न देखने की बात कही थी।

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