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एवरेस्ट के पास भी है एक बेकरी

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी यानी एवरेस्ट के आधार शिविर के पास लगे सैकड़ों अस्थायी तंबुओं में से एक में बेकरी चल रही है.

यह दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित दुकानों में से एक हो सकती है. यहाँ दुकान खोलने का ख़्याल सबसे पहले दावा स्टीवन शेरपा के दिमाग में आया.

एक तंबू में चल रही इस दुकान में घुसते ही ब्रेड, चाय और बिस्कुट की गंध नाक में घुस जाती है और मुँह में पानी आ जाता है.

दुकान में प्लास्टिक की ट्रे में चाकलेटी केक, समोसे, दालचीनी के रोल आदि सजाकर रखे गए हैं.

चाकलेट के टुकड़ों को एक जार में सजाकर रखा गया है.

सामान की कीमतें

इस दुकान में आने वाले पर्वतारोही ग्राहकों को यहाँ के सामान की कीमतें थोड़ा परेशान करती हैं, वे लोग कीमत की तुलना पहाड़ के नीचे स्थित दुकानों से करते हैं. लेकिन यह दुकान तो पाँच हज़ार तीन सौ पचास मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसके बावज़ूद लोग यहाँ से सामान खरीदते और खाते हैं.

दावा इस समय एवरेस्ट की दूसरी यात्रा पर है. उन्हें यहाँ बेकरी खोलने का ख़्याल अपनी पहली यात्रा के दौरान ही आया था.

 

एक पर्वातारोहण अभियान के दौरान 2006 में वह एक आस्ट्रेलियाई पर्वतारोही के साथ थे. उन्हें ब्रेड की हमेशा आवश्यकता पड़ती थी.इसके बाद ही उन्हें यहां बेकरी खोलने का ख़्याल.
दावा स्टीवन शेरपा, बेकरी के संचालक

वह कहते हैं, “एक पर्वातारोहण अभियान के दौरान वर्ष 2006 में वह एक आस्ट्रेलियाई पर्वतारोही ब्लेयर के साथ थे. उन्हें ब्रेड की हमेशा आवश्यकता पड़ती थी.”

बेकरी खोलने का ख़्याल

दावा के अनुसार इस अभियान के बाद ही उन्हें बेकरी खोलने का ख़्याल आया.

दावा कहते हैं कि सरकारी अधिकारी केवल सागरमाथा (एवरेस्ट का नेपाली नाम) और उसके आसपास के नेशनल पार्क के लिए ही चिंतित रहते हैं.

दावा कहते हैं कि इस दुकान से हाने वाली पूरी कमाई एक ट्रस्ट को दे दी जाती है. ट्रस्ट की स्थापना स्थानीय गाँवों में जलवायु परिवर्तन से पड़ने वाले प्रभाव से लड़ने के लिए की गई है.

धन नेपाल स्थित इंटरनेशनल सेंटर फ़ॉर इंटिग्रेटेड माउंटेन डवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) और दावा के अभियान की तरफ़ से दिया जाता है.

इनका उद्देश्य पर्यावरण समस्याओं की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है. जिस तंबु में बेकरी चल रही है, उसमें पर्यावरण से संबंधित एक फ़ोटो प्रदर्शनी भी चल रही है.

बेकरी की टीम में दावा और उनके नौज़वान सहयोगी शारबा मागर हैं.

अपने बेकरी के सामने दावा स्टीवन शेरपा
इश बेकरी में दूसरे शिविरों से भी लोग नाश्ते के लिए ब्रेड ख़रीदने आते हैं

शेरा पिछले 24 साल से एक पर्वतारोही कंपनी के साथ रसोइये का काम कर रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने खुद को एक नानबाई के रूप में बदल लिया है.

गैस से चलने वाली एक भट्ठी इस बेकरी का प्रमुख औंजार है, जो न ज़्यादा भारी है न ज़्यादा हल्की.

एवरेस्ट के आधार शिविर पर स्थित यह बेकरी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनती जा रही है.

दावा बताते हैं कि कुछ अन्य शिविरों के लोग भी यहाँ अपने नाश्ते के लिए ब्रेड ख़रीदने आते हैं.

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